मंजूषा कला को बिहार की दूसरी सबसे लोकप्रिय कला बनने में एक दशक लग गए। यह सम्भव हो पाया है दामिनी चौधरी जैसी सैकड़ों मंजूषा कलाकारों के निःस्वार्थ समर्पण से। सबौर, भागलपुर की दामिनी चौधरी वर्ष 2009 से संस्था दिशा ग्रामीण विकास मंच से जुड़कर इस कला पर कार्य कर रही हैं। इनहौंने दिल्ली पब्लिक स्कूल, सबौर सहित कई स्थानीय स्कूलों एवं प्रशिक्षण शिविरों में नई पीढ़ी में मंजूषा कला को स्थापित करने का प्रयास किया है । इन्हौंने अपने घर की बाहरी दीवार पर मंजूषा पेंटिंग बनाया जिससे सड़क से होकर गुज़रने वाले लोगों को अंग प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का आभास हो । वर्तमान में शादी-ब्याह के आयोजनों में उपयोगी कोहबर को मंजूषा शैली में उकेरने का कार्य इनके द्वारा किया जा रहा है ।